जसप्रीत बुमराह—यह नाम आज क्रिकेट की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी गेंदें बल्लेबाजों के लिए पहेली बनकर पिच पर उतरती हैं, और उनका अनोखा एक्शन देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह “यॉर्कर किंग” कहां से आया? कैसे एक साधारण से लड़के ने विश्व क्रिकेट में तहलका मचा दिया?
आइए, जसप्रीत बुमराह की जीवनी को एक रोमांचक कहानी की तरह सुनते हैं, जो सपनों, संघर्षों, और विजय की गाथा से भरी है।
बचपन: सपनों की शुरुआत।
6 दिसंबर 1993 को गुजरात के अहमदाबाद में एक सिख पंजाबी परिवार में जसप्रीत जसबीर सिंह बुमराह का जन्म हुआ।
उनके पिता, जसबीर सिंह, एक केमिकल व्यवसायी थे, और मां, दलजीत कौर, एक स्कूल शिक्षिका। लेकिन जसप्रीत की जिंदगी में त्रासदी तब आई जब वह मात्र पांच साल के थे।
उनके पिता का हेपेटाइटिस बी के कारण निधन हो गया। यह नन्हा बच्चा, जो अभी दुनिया को ठीक से समझ भी नहीं पाया था, अब अपनी मां और बड़ी बहन जूहिका के साथ एक मध्यमवर्गीय जीवन जीने लगा।
दलजीत कौर ने अकेले ही परिवार की जिम्मेदारी संभाली। वह अहमदाबाद के निर्माण हाई स्कूल में उप-प्राचार्या थीं, जहां जसप्रीत ने भी पढ़ाई की।

लेकिन पढ़ाई से ज्यादा, जसप्रीत का दिल क्रिकेट के मैदान में बसता था। वह स्कूल की क्रिकेट टीम के लिए खेलते थे और गलियों में दोस्तों के साथ टेनिस बॉल से गेंदबाजी करते थे। उनकी मां बताती हैं कि जसप्रीत को क्रिकेट का ऐसा जुनून था कि वह टीवी पर हर मैच देखता, और रिमोट के लिए अपनी बहन से झगड़ा भी करता।
जसप्रीत की गेंदबाजी का जादू बचपन से ही दिखने लगा था। वह घर में दीवार के निचले हिस्से (स्काटिंग) पर गेंद फेंककर यॉर्कर की प्रैक्टिस करते, क्योंकि इससे शोर कम होता था और उनकी मां की दोपहर की नींद नहीं टूटती थी। कौन जानता था कि यही शरारत एक दिन उन्हें “यॉर्कर किंग” बना देगी?
क्रिकेट की पहली सीढ़ी: गुजरात से मुंबई इंडियंस तक।
जसप्रीत का क्रिकेट करियर तब रफ्तार पकड़ा जब वह 2010 में गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अंडर-19 ट्रायल्स में पहुंचे। उनका अनोखा गेंदबाजी एक्शन देखकर चयनकर्ता हैरान थे। कुछ ने इसे “गैरकानूनी” तक कहा, लेकिन जसप्रीत की प्रतिभा को नजरअंदाज करना मुश्किल था।
उन्हें मुख्य टीम में जगह नहीं मिली, लेकिन रिजर्व खिलाड़ी के रूप में चुना गया। चौथे मैच में मौका मिला, और जसप्रीत ने सात विकेट लेकर सबको चकित कर दिया।
2012-13 के सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में जसप्रीत ने गुजरात के लिए टी-20 डेब्यू किया। फाइनल में पंजाब के खिलाफ 3/14 के शानदार प्रदर्शन ने उन्हें मैन ऑफ द मैच बनाया और गुजरात को खिताब दिलाया।
इसी दौरान, मुंबई इंडियंस के कोच जॉन राइट की नजर उन पर पड़ी। 2013 में, 19 साल की उम्र में, जसप्रीत को मुंबई इंडियंस ने अपने साथ जोड़ा। यह वह पल था जब एक छोटे शहर का लड़का बड़े सपनों की ओर बढ़ चला।
IPL में जसप्रीत का पहला विकेट कोई और नहीं, बल्कि विराट कोहली का था। उनके अनोखे एक्शन और सटीक यॉर्कर्स ने बल्लेबाजों को परेशान करना शुरू कर दिया।
लसिथ मलिंगा जैसे दिग्गज गेंदबाज के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करते हुए जसप्रीत ने डेथ ओवर्स में गेंदबाजी की कला सीखी। मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए उन्होंने पांच बार (2013, 2015, 2017, 2019, 2020) आईपीएल खिताब जीते और 181 विकेट लेकर टीम के सबसे सफल गेंदबाज बने।
अंतरराष्ट्रीय मंच: एक सितारे का उदय।
2016 में जसप्रीत की जिंदगी ने नया मोड़ लिया। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मोहम्मद शमी के चोटिल होने के बाद उन्हें भारतीय टी-20 टीम में जगह मिली। जनवरी 2016 में सिडनी में वनडे डेब्यू और फिर टी-20 डेब्यू हुआ।
जसप्रीत ने उस टी-20 सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लिए और दुनिया को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उसी साल, वह टी-20 विश्व कप और एशिया कप में भारत के प्रमुख गेंदबाज बने।
2018 में, जसप्रीत ने टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में अपने पहले ही टेस्ट में उन्होंने एबी डिविलियर्स जैसे दिग्गज को आउट किया। उनकी रफ्तार, स्विंग, और अनोखा एक्शन टेस्ट क्रिकेट में भी कमाल दिखा रहा था।
2018 में, वह इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे मुश्किल दौरों पर भारत के सबसे सफल गेंदबाज रहे। वह पहले एशियाई गेंदबाज बने जिन्होंने एक ही साल में दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट पारी में पांच विकेट लिए।
2019 के वनडे विश्व कप में जसप्रीत भारत के प्रमुख गेंदबाज थे, जिन्होंने 18 विकेट लिए। उसी साल वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में हैट्रिक लेकर वह हरभजन सिंह और इरफान पठान के बाद तीसरे भारतीय बने।
2024 का टी-20 विश्व कप जसप्रीत के करियर का सुनहरा पल था। उन्होंने 15 विकेट लेकर भारत को दूसरा टी-20 खिताब दिलाया और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता।
चुनौतियां: चोट और वापसी।
जसप्रीत की जिंदगी हमेशा आसान नहीं रही। 2015-16 में विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान उनके गेंदबाजी एक्शन पर सवाल उठे। कुछ अंपायरों ने इसे “थ्रो” करार दिया, लेकिन गुजरात टीम के समर्थन और कोचिंग के बाद यह मुद्दा हल हुआ।
2021 और 2022 में बैक इंजरी ने उन्हें मैदान से दूर रखा। दो टी-20 विश्व कप और कई महत्वपूर्ण सीरीज मिस करने के बावजूद, जसप्रीत ने हार नहीं मानी। 2023 में उन्होंने शानदार वापसी की और वनडे विश्व कप में भारत को फाइनल तक ले गए।
2024 में, इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने 19 विकेट लिए, जिसमें विशाखापत्तनम टेस्ट में 9 विकेट शामिल थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 32 विकेट लेकर वह सीरीज के सबसे सफल गेंदबाज रहे। उनकी मेहनत का नतीजा था कि वह 2024 में ICC मेन्स टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर और सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी के विजेता बने।

निजी जिंदगी: प्यार और परिवार।
जसप्रीत की निजी जिंदगी भी उनकी गेंदबाजी की तरह दिलचस्प है। 15 मार्च 2021 को उन्होंने स्पोर्ट्स प्रेजेंटर संजना गणेशन से गोवा में शादी की। संजना, जो पूर्व मिस इंडिया फाइनलिस्ट और एमटीवी के स्प्लिट्सविला में हिस्सा ले चुकी हैं, जसप्रीत की सबसे बड़ी समर्थक हैं।
4 सितंबर 2023 को उनके बेटे, अंगद जसप्रीत बुमराह, का जन्म हुआ। जसप्रीत का कहना है कि परिवार उनके लिए सबसे बड़ा सहारा है।
उनके दादाजी, संतोख सिंह बुमराह, जो कभी गुजरात में तीन फैक्ट्रियों के मालिक थे, अब ऑटोरिक्शा चलाते हैं। जसप्रीत और उनके दादाजी के बीच रिश्ते में कुछ कड़वाहट रही, लेकिन यह उनकी मां के साथ उनके मजबूत बंधन को कम नहीं करता।
दलजीत कौर, जो 2019 की नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री “क्रिकेट फीवर: मुंबई इंडियंस” में नजर आई थीं, अपने बेटे की हर उपलब्धि पर गर्व करती हैं।
उपलब्धियां: एक नजर में
- ICC रैंकिंग: जसप्रीत पहले गेंदबाज हैं जिन्होंने टेस्ट, वनडे, और टी-20 तीनों फॉर्मेट में नंबर 1 रैंकिंग हासिल की।
- 2024 टी-20 विश्व कप: 15 विकेट, प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट।
- टेस्ट क्रिकेट: 200 विकेट सबसे कम मैचों में लेने वाले भारतीय तेज गेंदबाज।
- आईपीएल: मुंबई इंडियंस के लिए 181 विकेट, सर्वकालिक शीर्ष गेंदबाज।
- पुरस्कार: तीन बार BCCI का पॉली उमरीगर अवॉर्ड (2018-19, 2021-22, 2023-24), 2022 में विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर, और 2024 में ICC मेन्स क्रिकेटर ऑफ द ईयर।
क्यों हैं जसप्रीत खास?
जसप्रीत बुमराह सिर्फ एक गेंदबाज नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं। उनका अनोखा एक्शन, जिसे कभी कमजोरी माना गया, आज उनकी ताकत है। वह मैदान पर शांत रहते हैं, लेकिन उनकी गेंदें तूफान लाती हैं। चाहे डेथ ओवर्स में यॉर्कर हो, टेस्ट में रिवर्स स्विंग, या टी-20 में धीमी गेंद, जसप्रीत हर हाल में बल्लेबाजों को छकाते हैं।
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सपने बड़े हों तो रास्ते की रुकावटें छोटी लगती हैं। एक छोटे शहर से निकलकर, पिता की कमी और आर्थिक तंगी को पीछे छोड़ते हुए, जसप्रीत ने दुनिया को दिखाया कि प्रतिभा और मेहनत के सामने कोई बाधा नहीं टिकती।
निष्कर्ष: एक यॉर्कर लीजेंड।
जसप्रीत बुमराह की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं। यह एक ऐसे लड़के की कहानी है जो अपने सपनों के पीछे भागा, गिरा, उठा, और फिर आसमान छू लिया। आज वह न सिर्फ भारत के, बल्कि विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं। उनकी गेंदें जब पिच पर पड़ती हैं, तो बल्लेबाज नहीं, बल्कि पूरी दुनिया थमकर देखती है।
तो अगली बार जब आप जसप्रीत को यॉर्कर फेंकते देखें, याद रखिए—यह सिर्फ एक गेंद नहीं, बल्कि एक बच्चे के सपने, एक मां की मेहनत, और एक क्रिकेटर की जिद का नतीजा है। जसप्रीत बुमराह—नाम ही काफी है!