सितारे ज़मीन पर (Sitaare Zameen Par) मूवी रिव्यू: आमिर खान की भावनात्मक वापसी!

सितारे ज़मीन पर (Sitaare Zameen Par), आमिर खान (Aamir Khan) की बहुप्रतीक्षित फिल्म, आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है और यह 2007 की ब्लॉकबस्टर तारे ज़मीन पर (Taare Zameen Par) का भावनात्मक विस्तार मानी जा रही है।

इस बार, आमिर अपने निर्देशन से हटकर एक्टिंग और प्रोडक्शन में लौटे हैं, और फिल्म 2018 की स्पेनिश हिट चैंपियंस (Champions) का आधिकारिक रीमेक है। तो चलिए, इस हार्टवॉर्मिंग ड्रामा को विस्तार से जानते हैं!

कहानी और थीम।

फिल्म की कहानी गुलशन अरोड़ा (Aamir Khan) नाम के एक घमंडी बास्केटबॉल कोच के इर्द-गिर्द घूमती है, जो नशे में गाड़ी चलाने के बाद कोर्ट से सजा पाता है।

उनकी सजा है कि वे तीन महीने तक न्यूरोडाइवर्जेंट (जैसे डाउन सिंड्रोम और ऑटिज्म से प्रभावित) वयस्कों की एक टीम को बास्केटबॉल सिखाएं।

शुरू में, गुलशन (Gulshan) इन खिलाड़ियों को हल्के में लेता है, लेकिन धीरे-धीरे उनकी जिंदगी और हौसले से प्रेरित होकर खुद बदल जाता है।

यह फिल्म इंक्लूसिविटी और मानवता का संदेश देती है, जो इसे खास बनाता है।

परफॉर्मेंस और डायरेक्शन।

आमिर खान (Aamir Khan) एक बार फिर अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं। वे एक अहंकारी कोच से संवेदनशील इंसान तक का सफर बखूबी निभाते हैं।

उनकी कॉमेडी टाइमिंग और भावनात्मक दृश्यों में गहराई फिल्म को संतुलित करती है। जेनिलिया देशमुख (Genelia Deshmukh) उनकी पत्नी सुनिता (Suneeta) के रोल में सहज और प्रभावी हैं, हालांकि उनके किरदार को और गहराई दी जा सकती थी।

फिल्म के असली सितारे हैं 10 नए चेहरे—अरौश दत्ता (Aroush Datta), गोपीकृष्ण वर्मा (Gopi Krishna Varma), आयुष भंसाली (Ayush Bhansali), और अन्य—जिन्होंने न्यूरोडाइवर्जेंट किरदारों को आत्मा दी है। डायरेक्टर आर.एस. प्रसन्ना (R.S. Prasanna) ने हास्य, भावना और खेल के तड़के को खूबसूरती से पिरोया है।

तकनीकी पहलू।

शंकर-एहसान-लॉय (Shankar-Ehsaan-Loy) का संगीत और राम संपत (Ram Sampath) का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की भावनाओं को बढ़ाता है।

गाने जैसे “सर आंखों पर मेरे” और “सितारे ज़मीन पर” टाइटल ट्रैक दर्शकों के दिल को छूते हैं। सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग (चारु श्री रॉय) भी प्रभावशाली हैं, हालांकि कुछ दृश्यों में पैसिंग थोड़ी धीमी लगती है।

अच्छा और बुरा।

अच्छा: फिल्म का कोर मैसेज, ईमानदार अभिनय, और प्रीची-फ्री प्रस्तुति इसे खास बनाती है। दूसरा हाफ, खासकर भावनात्मक Climax, दर्शकों को बांधे रखता है।
बुरा: पहला हाफ कुछ स्थानों पर खिंचा हुआ लगता है, और कुछ दृश्यों में अतिरिक्त संवेदनशीलता हावी हो जाती है।

क्या देखें या नहीं?

यह फिल्म उन लोगों के लिए जरूर देखने लायक है जो सकारात्मक संदेश और पारिवारिक मनोरंजन चाहते हैं। सितारे ज़मीन पर (Sitaare Zameen Par) आपको हंसा सकती है, रुला सकती है, और जिंदगी को नए नजरिए से देखने की प्रेरणा दे सकती है।

अगर आप तारे ज़मीन पर (Taare Zameen Par) के फैन हैं, तो यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी, हालांकि यह उतना क्रांतिकारी नहीं है जितना उसका पहला भाग था।

निष्कर्ष

सितारे ज़मीन पर (Sitaare Zameen Par) एक भावनात्मक रोलरकोस्टर है जो इंसानी हौसले और समावेशिता की बात करती है।

आमिर खान (Aamir Khan) और उनकी टीम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सिनेमा समाज को आईना दिखा सकता है।

इसे सिनेमाघर में देखने का अनुभव लें, खासकर परिवार के साथ। क्या आप इसे देखने की योजना बना रहे हैं? अपनी राय कमेंट में शेयर करें!

सितारे ज़मीन पर (Sitaare Zameen Par) मूवी रिव्यू के आधार पर, मैं इसे 5 में से 3.5 स्टार्स दूंगा। 

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