डिजास्टर साबित हुई अजय देवगन की ‘सन ऑफ सरदार 2’! 130 करोड़ में बनी, 50 करोड़ भी नहीं कमा पाई
जब 2012 में ‘सन ऑफ सरदार’ (Son Of Sardaar) रिलीज हुई थी, तो उसने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई करके दर्शकों का दिल जीत लिया था। इसी सफलता को भुनाने के लिए जब 13 साल बाद इसका सीक्वल ‘सन ऑफ सरदार 2’ (Son of Sardaar 2) लाया गया, तो उम्मीदें आसमान पर थीं।
अजय देवगन (Ajay Devgn) और मृणाल ठाकुर (Mrunal Thakur) की इस फिल्म से एक और ब्लॉकबस्टर की उम्मीद थी, लेकिन नतीजा ठीक उल्टा निकला। यह फिल्म न सिर्फ फ्लॉप हुई, बल्कि यह अजय देवगन के करियर की सबसे बड़ी डिजास्टर फिल्मों में से एक बन गई है।
बॉक्स ऑफिस पर पूरी तरह ढेर हुई फिल्म
‘सन ऑफ सरदार 2’ (Son Of Sardaar 2) ने बॉक्स ऑफिस पर अपना सफर पूरा कर लिया है और इसके आखिरी आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं। फिल्म भारत में लाइफटाइम में 47.15 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन ही कर पाई। यह इसके पहले पार्ट (105.03 करोड़) की कमाई से 55% कम है। यह दिखाता है कि दर्शकों ने फिल्म को सिरे से खारिज कर दिया।
फिल्म की हालत विदेशों में और भी खराब रही, जहाँ यह सिर्फ 9.75 करोड़ रुपये ही कमा सकी। कुल मिलाकर, फिल्म का वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन मात्र 65.38 करोड़ रुपये पर सिमट गया।
बजट, रिकवरी और नुकसान का पूरा गणित
इस फिल्म को बनाने में मेकर्स ने पानी की तरह पैसा बहाया था। ‘सन ऑफ सरदार 2’ (Son Of Sardaar 2) का बजट लगभग 130 करोड़ रुपये था। इसके मुकाबले फिल्म की कमाई ऊंट के मुंह में जीरा जैसी है। फिल्म अपने बजट का सिर्फ 36% ही वसूल कर पाई, जिससे मेकर्स को सीधे तौर पर 83 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। यह किसी भी प्रोडक्शन हाउस के लिए एक बड़ा झटका है।
पैरामीटर | आंकड़े |
---|---|
बजट | 130 करोड़ |
इंडिया नेट कलेक्शन | 47.15 करोड़ |
वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन | 65.38 करोड़ |
बजट रिकवरी | 36% |
नुकसान | ~ 83 करोड़ |
वर्डिक्ट | डिजास्टर (Disaster) |
क्यों डिजास्टर बनी ‘सन ऑफ सरदार 2’? – एक विश्लेषण
इतनी बड़ी स्टारकास्ट और सफल फ्रेंचाइजी के नाम के बावजूद फिल्म के असफल होने के पीछे कई ठोस कारण हैं:
1. कमजोर कंटेंट और पुरानी कॉमेडी: आज का दौर कंटेंट का है। दर्शकों को सिर्फ बड़े नाम नहीं, बल्कि एक अच्छी कहानी चाहिए। फिल्म को क्रिटिक्स और दर्शकों दोनों से बेहद निगेटिव रिव्यू मिले। इसकी कॉमेडी और कहानी को पुराना और घिसा-पिटा बताया गया, जो दर्शकों को हंसाने में नाकाम रही।
2. दर्शकों ने सिरे से नकारा: उस समय सिनेमाघरों में ‘सैयारा’ (Saiyaara) और ‘महावतार नृसिंह’ (Mahavatar Narsimha) जैसी फिल्में भी थीं, जिन्होंने दर्शकों को बेहतर विकल्प दिए। खराब वर्ड-ऑफ-माउथ के चलते ‘सन ऑफ सरदार 2’ को दर्शकों ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
3. सीक्वल का दबाव: अक्सर सफल फिल्मों के सीक्वल उस जादू को दोहराने में असफल रहते हैं। ‘सन ऑफ सरदार 2’ भी इसी “सीक्वल सिंड्रोम” का शिकार हो गई। फिल्म पहले पार्ट के स्तर को छू भी नहीं पाई।
यह नतीजा एक बार फिर साबित करता है कि आज के समय में सिर्फ सुपरस्टार का नाम किसी फिल्म को हिट नहीं करा सकता। अगर कंटेंट में दम नहीं है, तो दर्शक उसे नकारने में जरा भी देर नहीं करते। यह अजय देवगन और मेकर्स के लिए एक बड़ा सबक है।
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