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Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari मूवी रिव्यू: खोदा पहाड़, निकली चुहिया!

वरुण धवन और जान्हवी कपूर की फिल्म सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी।

वरुण धवन और जान्हवी कपूर की फिल्म सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी।

Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari मूवी रिव्यू: खोदा पहाड़, निकली चुहिया!

द्वारा: Fan Viral | दिनांक: 2 अक्टूबर, 2025

धर्मा प्रोडक्शंस की नई फिल्म सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी रिलीज हो चुकी है। बड़े-बड़े सेट, रंगीन कपड़े और वरुण धवन-जान्हवी कपूर की जोड़ी के साथ यह फिल्म एक टिपिकल बॉलीवुड मसाला एंटरटेनर होने का वादा करती है, लेकिन अफसोस, यह फिल्म अपने वादे पर खरी नहीं उतरती।

फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि करण जौहर अपने पुराने, घिसे-पिटे फॉर्मूले से बाहर ही नहीं निकलना चाहते, जिसका नतीजा एक उबाऊ और निराशाजनक फिल्म के रूप में सामने आया है।

पुरानी कहानी, नया पैकेट

फिल्म की कहानी दो पूर्व प्रेमियों के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक-दूसरे को जलाने के लिए अपने नए पार्टनर का इस्तेमाल करते हैं। यह कहानी इतनी पुरानी और आउटडेटेड है कि आप फिल्म के हर अगले सीन का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं।

कमजोर और उलझी हुई पटकथा के कारण दर्शक फिल्म से जुड़ नहीं पाते। कुल मिलाकर, फिल्म की कहानी के लिए ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ वाली कहावत बिल्कुल फिट बैठती है।

एक्टिंग में नहीं दिखा दम

वरुण धवन की एक्टिंग की बात करें तो ऐसा लगता है कि वह अभी भी अपनी ‘जुड़वा 2’ वाली इमेज से बाहर नहीं निकल पाए हैं। पूरी फिल्म में उनकी ओवरएक्टिंग और दूसरे एक्टर्स की मिमिक्री करने की कोशिश निराश करती है।

वहीं, जान्हवी कपूर का किरदार इतना उलझा हुआ है कि समझ ही नहीं आता कि वह मासूम हैं, संस्कारी हैं या हॉट। उनके प्रदर्शन में गहराई की साफ कमी दिखती है। हैरानी की बात यह है कि फिल्म में खुद करण जौहर ने एक छोटा सा रोल किया है और वह इन दोनों से बेहतर एक्टिंग कर गए हैं।

फिल्म के दो चमकते सितारे

इस निराशाजनक फिल्म में अगर कुछ अच्छा था, तो वह थे रोहित सराफ। जब भी वह स्क्रीन पर आते हैं, तो अपनी मौजूदगी से दिल जीत लेते हैं। उनका स्क्रीन प्रेजेंस और धांसू लुक उन्हें फिल्म का असली हीरो बनाता है।

इसके अलावा, सोनू निगम का गाना ‘बिजुरिया’ फिल्म का दूसरा पॉजिटिव पॉइंट है। इस गाने पर वरुण और जान्हवी ने अच्छा डांस किया है, जो कुछ देर के लिए माहौल बना देता है।

हमारा फैसला और रेटिंग

कुल मिलाकर, ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ एक कमजोर और उबाऊ फिल्म है, जो न तो हंसा पाती है और न ही इमोशनल कर पाती है। यह फिल्म इस बात का एक और उदाहरण है कि अब दर्शकों को पुराने फॉर्मूले वाली फिल्मों में कोई दिलचस्पी नहीं है।

अगर आप एक अच्छी फैमिली एंटरटेनर की उम्मीद में यह फिल्म देखने जा रहे हैं, तो आपको भारी निराशा हाथ लगेगी।

हमारी रेटिंग: 1.5 / 5 ★
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