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कैसे एक ‘खराब फील्डर’ बना टीम इंडिया का मैच विनर? पढ़ें वरुण चक्रवर्ती का पूरा स्ट्रगल।

Varun Chakaravarthy celebrating a wicket after his comeback to the Indian cricket team.

वरुण चक्रवर्ती (Varun Chakaravarthy) ने अपनी कड़ी मेहनत से टीम इंडिया में शानदार वापसी की है।

“हम जीत गए, मारा!”: वरुण चक्रवर्ती की नाकामी, मेहनत और वापसी की अनसुनी कहानी

द्वारा: Fan Viral | 12 सितंबर, 2025

जुलाई 2024, वरुण चक्रवर्ती (Varun Chakaravarthy) को पूरा यकीन था कि टीम इंडिया में उनकी वापसी का समय आ गया है। उनसे उनके एडिडास साइज तक मांगे जा चुके थे। IPL के दो सीजन में 40 से ज्यादा विकेट, कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के साथ खिताब, सब कुछ उनके पक्ष में था। लेकिन जब जिम्बाब्वे दौरे के लिए टीम का ऐलान हुआ, तो उनका नाम गायब था। यह चोट बहुत गहरी थी।

जिम्बाब्वे दौरे का वो दर्दनाक पल

यह सिर्फ एक और रिजेक्शन नहीं था। यह उस सारी मेहनत पर पानी फिरने जैसा था जो उन्होंने 2021 वर्ल्ड कप की नाकामी और 2022 में KKR से ड्रॉप होने के बाद की थी। उन्होंने अपना रन-अप बदला, एक्शन पर काम किया, साइड-स्पिन को ओवर-स्पिन में बदला और अपनी स्टॉक बॉल को भी नया रूप दिया। लेकिन फिर भी, वह टीम में नहीं थे।

इस बार वजह उनकी गेंदबाजी नहीं, बल्कि उनकी फील्डिंग बताई गई। यह एक ऐसा दाग था जो उनके हर प्रयास पर भारी पड़ रहा था। इससे पहले भी उन्होंने कई करियर बदले थे – विकेटकीपर, तेज गेंदबाज, आर्किटेक्ट, फ्रीलांसर, यहां तक कि फिल्मों में भी हाथ आजमाया। हर बार नाकामी ही हाथ लगी थी।

जब फील्डिंग की वजह से हुए बाहर

जिम्बाब्वे दौरे से बाहर होने के कुछ दिनों बाद, TNPL में खेलते हुए उन्होंने अपनी हताशा टीम के फील्डिंग कोच अशोक कुमार (जिन्हें वह ‘डायमंड’ कहते हैं) के सामने जाहिर की। डायमंड ने उनकी बात सुनी और एक सीधी सच्चाई सामने रखी।

वरुण, अभी हम में कोई कमी है। अगर हम उस कमी को ठीक कर लें, तो कोई भी हम पर सवाल नहीं उठाएगा।” – अशोक कुमार ‘डायमंड’

डायमंड ने साफ किया कि दिक्कत वरुण के हाथों में नहीं, बल्कि उनकी जागरूकता (Awareness) में थी। वह अक्सर मैच के दौरान मानसिक रूप से सुस्त हो जाते थे। इसके बाद डायमंड ने उनकी फील्डिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू की और उन्हें दिखाया कि वह कब अलर्ट रहते हैं और कब ढीले पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा, “तुम्हें हर गेंद पर, 120 गेंदों पर 120 बार खेल में रहना होगा।”

वरुण ने और भी कठिन अभ्यास की मांग की। डायमंड ने उन्हें थका देने वाले ड्रिल कराए। नतीजा यह हुआ कि वरुण की फील्डिंग में गजब का सुधार आया। IPL में एक बेहतरीन कैच के बाद, इंग्लैंड के खिलाफ फरवरी 2025 में ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ बनते समय उन्होंने खुशी जताई कि उनकी फील्डिंग की भी तारीफ हो रही है।

गेंदबाजी में किया ऐतिहासिक बदलाव

फील्डिंग तो आखिरी बाधा थी, असली काम तो उन्होंने अपनी गेंदबाजी पर दो साल पहले ही कोच एसी प्रथिबन (AC Prathiban) के साथ शुरू कर दिया था। प्रथिबन ने उन्हें 20 IPL विकेट लेने का लक्ष्य दिया था, जिसे वरुण ने 2023 और 2024 दोनों में पूरा किया।

उनकी सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उनकी कैरम बॉल अब घूम नहीं रही थी। तब प्रथिबन के साथ मिलकर उन्होंने एक नई लेग-स्पिनर गेंद विकसित की। पहले उन्होंने इसे पारंपरिक सीम-अप स्टाइल में फेंका, लेकिन बल्लेबाज सीम देखकर गेंद पढ़ लेते थे।

तब प्रथिबन ने उन्हें “स्क्रैम्बल्ड-सीम लेग स्पिनर” फेंकने की सलाह दी। इसके साथ ही, उन्होंने साइड-स्पिन की जगह ओवर-स्पिन का इस्तेमाल शुरू किया। इससे बल्लेबाज को गेंद पढ़ने के लिए 0.5 सेकंड कम मिलते थे। वरुण की खासियत यह थी कि वह तेज गति से ओवर-स्पिन फेंक सकते थे, जिससे उन्हें अतिरिक्त उछाल मिलता था, जो उन्हें दूसरे स्पिनरों से अलग बनाता था।

भावुक कर देने वाली वापसी

इस सारी मेहनत के बाद जब जिम्बाब्वे दौरे पर चयन नहीं हुआ, तो वरुण टूट गए। उन्होंने घंटों अपने कोच प्रथिबन से बात की। लेकिन कुछ घंटे बाद, उन्होंने फिर फोन किया और कहा, “कल प्रैक्टिस कर रहे हैं।” यह उनकी दूसरी उड़ान की शुरुआत थी।

कुछ हफ्तों बाद, उन्हें फिटनेस टेस्ट के लिए बुलाया गया। उन्हें लगा कि बांग्लादेश सीरीज के लिए चयन हो जाएगा, लेकिन उन्हें घर जाने के लिए कह दिया गया। वह फिर निराश हुए। लेकिन घर पहुंचने से ठीक पहले, उनके फोन की घंटी बजी। इस बार खबर अलग थी। उनका चयन हो गया था।

वह गाड़ी रोककर रो पड़े। फिर उन्होंने प्रथिबन को फोन किया। कोच ने क्रिकेट की बात नहीं की। उन्होंने तमिल फिल्म ‘सोरारई पोट्रु’ का एक डायलॉग बोला, जो दोनों को बहुत पसंद था।

“नम्मा जेइचीटोम, मारा” (हम जीत गए, मेरे दोस्त)।

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