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मैं गेम चेंजर बनने के लिए नहीं उठता,” विजय देवरकोंडा ने फिल्मों के चुनाव पर तोड़ी चुप्पी।

इंटरव्यू के दौरान विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda)

विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) का मानना है कि दर्शकों से जुड़ना ही उनकी असली जीत है।

विजय देवरकोंडा ने फिल्मों के चुनाव पर तोड़ी चुप्पी

“मैं गेम चेंजर बनने के लिए नहीं उठता,” – विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) ने फिल्मों के चुनाव पर तोड़ी चुप्पी

द्वारा: Fan Viral | 9 सितंबर, 2025

तेलुगु सिनेमा के सुपरस्टार विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) को अक्सर ‘गेम चेंजर’ कहा जाता है। यह टैग उन्हें उनकी लीक से हटकर फिल्मों और दमदार स्क्रीन प्रेजेंस के लिए मिला है। लेकिन खुद विजय इस टैग के बारे में क्या सोचते हैं? हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने इस पर खुलकर बात की।

‘गेम चेंजर’ टैग पर विजय की सोच

‘जूम’ को दिए एक इंटरव्यू में, विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) ने बताया कि वह खुद को ‘गेम चेंजर’ साबित करने के दबाव में काम नहीं करते।

उन्होंने कहा, “मैं यह सोचकर नहीं उठता कि मुझे ‘गेम चेंजर’ बनना है। मैं बस ऐसी कहानियां चुनता हूं जो मुझे उत्साहित करती हैं, ऐसी भूमिकाएं जो मुझे थोड़ी चुनौती देती हैं, और यही चीजें अंत में सीमाओं को तोड़ती हैं।”

कैसी फिल्में चुनते हैं विजय?

विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) ने अपनी फिल्मों के चयन की फिलॉसफी को समझाते हुए कहा कि वह हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। उनके लिए एक स्टार के सांचे में फिट होने से ज्यादा जरूरी एक एक्टर और कहानीकार के रूप में लगातार विकसित होना है।

असली जीत का क्या है मतलब?

उनके लिए सफलता का पैमाना सिर्फ बॉक्स ऑफिस नंबर नहीं है। विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) के अनुसार, असली जीत तब होती है जब उनका काम लोगों से जुड़ता है और सिनेमा को देखने का नजरिया बदलता है।

उन्होंने कहा, “अगर यह (उनका काम) लोगों से जुड़ता है और सिनेमा को देखने के हमारे तरीके को बदलता है, तो वही असली जीत है।”

बेखौफ फैसलों का प्रमाण

विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) की फिल्मोग्राफी उनके बेखौफ फैसलों का सबूत है। चाहे वह ‘अर्जुन रेड्डी’ जैसा जटिल किरदार हो या फिर फॉर्मूले से अलग हटकर कोई कहानी, उन्होंने हमेशा एक्सपेरिमेंट करने का साहस दिखाया है।

उन्हें हाल ही में पैन-इंडिया फिल्म ‘किंगडम’ में देखा गया था, जिसमें उनके साथ भाग्यश्री बोरसे और रुक्मिणी वसंत भी थीं।

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