विजय शंकर ने छोड़ा तमिलनाडु का साथ, अब त्रिपुरा नई मंजिल
13 साल का साथ, लेकिन अब नई चुनौती
विजय शंकर साल 2012 से तमिलनाडु टीम का अभिन्न हिस्सा रहे, लेकिन पिछले कई सीजन से उन्हें टीम में लगातार ड्रॉप किया जा रहा था। गेंदबाज़-बल्लेबाज़ दोनों ही किरदारों में सफल रहने के बाद भी परफॉर्मेंस के बावजूद टीम मैनेजमेंट से उन्हें भरोसा नहीं मिला।
ड्रेसिंग रूम में असुरक्षा और चयन की अनिश्चितता
शंकर ने अपने बयान में खुलासा किया कि लगातार टीम से बाहर करना, हर बार अलग बैटिंग पोजिशन देना और सलेक्टर्स पर भरोसा न होना ही उनके फैसले के पीछे की बड़ी वजह है। उन्होंने कहा कि सलेक्टर्स से कभी भी सुरक्षा की भावना नहीं मिली।
तमिलनाडु के लिए क्या कहते हैं आंकड़े?
- 81 रणजी पारियों में 44.25 की औसत से 3,142 रन ||
- 2024-25 के रणजी सत्र में चंडीगढ़ के खिलाफ 171 गेंदों पर 150 रन (करियर बेस्ट)
- सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी समेत कई टूर्नामेंट में फिनिशर और मिडिल ऑर्डर बैट्समैन की अहम भूमिका
टीम में रोल बदलता गया, मानसिक मजबूती और सीख
शंकर ने बताया कि “तीन सालों में केवल 2022 ऐसा था जब मैं एक ही पोजिशन पर लगातार बल्लेबाजी कर पाया। बाकी समय कभी तीसरे, कभी छठे-सातवें नंबर पर बैटिंग मिली।” इस अनुभव ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाया है।
त्रिपुरा में नया मौका, नई शुरुआत
नई टीम में विजय शंकर अपनी बनाई पहचान और एक्सपीरिएंस से युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनना चाहेंगे। शंकर के लिए ये एक ताजगी भरी शुरुआत है, जिससे वे अपने करियर का अगला चैप्टर मजबूती से लिख सकते हैं।
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